आज मैने बचपन को चौराहे पर जिम्मेदारी के बोझ तले ढलते देखा।
ज्योतिषी के हाथों , नन्हे हथेलियों के उम्मीदों को मरते देखा।
ताऊ के हाथो बीड़ी को अंत तक सुलगते देखा।
सुलगते बीड़ी संग बुढ़ापे में कर्ज तले उलझते देखा।
अंतः दूसरों की खुशी पर लोगो को जलते देखा।।
Devkaran chakresh...
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