गुरुवार, 11 जनवरी 2024

जनाजा........

 संतुष्टि कभी सार्थी नहीं था।

सपने हमारे भी सजे होंगे पर मैं कभी स्वार्थी नहीं था।

किसी के जनाजे में खड़ा था मैं,

बस खुद के कंधे पर खुद का अर्थी सही था।।।।।।

                                      Devkaran chakresh...

रविवार, 7 जनवरी 2024

UNFILTERD PORTRAIT.....

 आज मैने बचपन को चौराहे पर जिम्मेदारी के बोझ तले ढलते देखा।

ज्योतिषी के हाथों , नन्हे हथेलियों के उम्मीदों को  मरते देखा।

ताऊ के हाथो बीड़ी को अंत तक सुलगते देखा।

सुलगते बीड़ी संग बुढ़ापे में कर्ज तले उलझते देखा।

अंतः दूसरों की खुशी पर लोगो को जलते देखा।।

                       

                                 Devkaran chakresh...



बुधवार, 3 जनवरी 2024

मोह।।

 छणिक मोह वस्तु का।।

अज्ञानता भरा यह नीर।।

वस्तु के मोह में , छणिक हुआ राहगीर।।

मोक्ष।।।।